मैं भी कितना नादान था,
नकली चेहरों पर ऐतबार कर बैठा।
झूठे जज़्बातों को अपना समझ,
खुद को ही धोखा दे बैठा।।
अब जब हकीकत सामने आई है,
तो सुकून में हूँ अकेला।
झूठे लोगों के साथ से बेहतर है,
अपनी तन्हाइयों का मेला।।
डॉ दीपक कुमार दीप
.
©Dr Deepak Kumar Deep
#alone alone shayari girl shayari attitude sad shayari zindagi sad shayari love shayari hindi