"इज़हार आंखों में आंखें डाल कर
पलकों को ना झपकाये
सांसों की गर्मी का एहसास कर
जुबां से कुछ ना कह पाये
मेरी खामोशी वो समझी
धड़कन की धक धक से
मैं कहना क्या चाहता था
वो समझी बिन शब्द से
एहसास हुआ अब ये कि
कितना मुश्किल है कुछ कहना
मगर आसान है गले मिल कर
उसको सबकुछ समझाना
- आंजनेय अंजुल
©Anjul Srivastava"