कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते किसी की आँख में रह | हिंदी शायरी

"कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते किसी की आँख में रह कर सँवर गए होते ~ बशीर बद्र ©Paroma"

 कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते
किसी की आँख में रह कर सँवर गए होते

~ बशीर बद्र

©Paroma

कभी तो शाम ढले अपने घर गए होते किसी की आँख में रह कर सँवर गए होते ~ बशीर बद्र ©Paroma

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