पहाड़ो से गायब हैं हरियाली इंसान के इतने बड़ गये कस | हिंदी शायरी

"पहाड़ो से गायब हैं हरियाली इंसान के इतने बड़ गये कसूर। मोहब्बत मे भी धोखा देने लगे लोग जाने इतना क्यों है मजबूर। ©Kamlesh Kandpal"

 पहाड़ो से गायब हैं हरियाली 
इंसान के इतने बड़ गये कसूर।
मोहब्बत मे भी धोखा देने लगे 
 लोग जाने इतना क्यों है मजबूर।

©Kamlesh Kandpal

पहाड़ो से गायब हैं हरियाली इंसान के इतने बड़ गये कसूर। मोहब्बत मे भी धोखा देने लगे लोग जाने इतना क्यों है मजबूर। ©Kamlesh Kandpal

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