खुदा की बंदगी में जब ये जिस्म ओ जान हुई मेरे अंदर | हिंदी Shayari

"खुदा की बंदगी में जब ये जिस्म ओ जान हुई मेरे अंदर मिली मस्जिद जहां अजान हुई भटक रहा था मैं दर बदर की ठोकरें खाते खुद में पाया तुझे तो सब मुश्किलें आसान हुई.! ©Kamal ki klm se"

 खुदा की बंदगी में जब ये जिस्म ओ जान हुई
मेरे अंदर मिली मस्जिद जहां अजान हुई

भटक रहा था मैं दर बदर की ठोकरें खाते
खुद में पाया तुझे तो सब मुश्किलें आसान हुई.!

©Kamal ki klm se

खुदा की बंदगी में जब ये जिस्म ओ जान हुई मेरे अंदर मिली मस्जिद जहां अजान हुई भटक रहा था मैं दर बदर की ठोकरें खाते खुद में पाया तुझे तो सब मुश्किलें आसान हुई.! ©Kamal ki klm se

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#RAMADAAN

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