बाग़बान से दोस्ती कोई, ऐसे जोड़ रहा था कांटे कर रह | हिंदी Shayari

"बाग़बान से दोस्ती कोई, ऐसे जोड़ रहा था कांटे कर रहे थे हिफाजत, फिर भी कोई गुलाब तोड़ रहा था। ©nitinchinhat"

 बाग़बान से दोस्ती कोई, ऐसे जोड़ रहा था
कांटे कर रहे थे हिफाजत,
फिर भी कोई गुलाब तोड़ रहा था।

©nitinchinhat

बाग़बान से दोस्ती कोई, ऐसे जोड़ रहा था कांटे कर रहे थे हिफाजत, फिर भी कोई गुलाब तोड़ रहा था। ©nitinchinhat

✍️ By Nitin
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