बेटी की लोरी से पहर काट देते हैं
पिता के रक्त से जहर काट देते हैं
जब कभी बैठे - बैठे हो जाती है शाम
मां की याद के आंचल में सेहर काट देते हैं
बहन की राखियों से ले बुलंदी
प्रीत की चिड़िया के पर काट देते हैं
प्रिया के सिंदूर की लालिमा के ओज से
मावस में आता हुआ हर शर काट देते हैं
लंबे रास्तों में पर्वत नदियां कुछ नहीं दिखती
एक बटुए को देखते हुए सफर
काट देते हैं
वक़्त की मांग पर जब मांगती है लहू ये जमीं
शीश देकर अपना शहीद जीवन सफर काट देते हैं #gif
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