"एकांत..
कभी कभी मेरे मन रूपी आईने में,
अचानक बहुत सी तस्वीर उभरती हैं,
जिन्हें मैं नहीं देखना चाहती ,
लेकिन रोक नहीं पाती।
फिर सोचती हूं...
एक दिन मौन हो जाना ही
सारी समस्याओं का समाधान होगा,
फिर अगले ही पल सोचती हूं,
जिसके इंतज़ार में मैंने बरसो प्रतीक्षा की है,
वो बस कुछ और दूरी पर मेरा इंतज़ार कर रहा होगा,
मैं जल्द ही पा लूंगी उसे,
और उसमें जी लूंगी।।
मेरा एकांत।
©Divya Tyagi Da CounSeLLoR
"