वक्त बदल गया है जमाना बदल गया है
लेकिन नजरिया वही है
लड़के लड़कियों में फर्क वही है
रास्ते बदल गए हैं मंजिल वही है
युग बदल गया है मगर परिवर्तन नहीं है
लड़कियों की आजादी के सपने नए हैं
लेकिन पांव में पड़ी जंजीर वही है
आज भी बाहर निकलने पर जहन में खौफ वही है
हर युग में लड़की की दास्तान वही है
लड़कियों के साथ होने वाला व्यवहार वही है
उनके साथ होने वाला अनाचार, अत्याचार वही है
चार दिवारियों के बीच में कैद लड़कियों की घुटन वही है
जिंदगी के हर मोड़ पर नज़रें गड़ाए दरिंदे वही हैं
कल भी लोगों के बीच द्रौपदी सुरक्षित नहीं थी
आज भी दामिनी की दुर्दशा वही है
हर पल रावण और दुशासन की नजरों से बचने की आस वही है
फिर कैसे समझे कि वक्त बदल गया है
लड़के लड़कियों में फर्क नहीं है सोच नई है
क्योंकि आज भी लड़की का दर्द वही है
दर्द में से सिसकती आवाज वही है
©Pooja Priya
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