बहुत कुछ साथ ले कर.. तुमसे मिलने आयेंगे अगली बार.. | हिंदी Poetry

"बहुत कुछ साथ ले कर.. तुमसे मिलने आयेंगे अगली बार..! उम्र, जात और हैसियत की हैसियत. जिंदगी से पूछेंगे अगली बार..! बिन लकीरों की हथेली में... प्यार की रेखा खींचेंगे अगली बार..! नाम तेरा मेरा भले ही मिट जाए.. हमारी रूहों को आना होगा अगली बार..! हर बार,बार बार और फ़िर से इस बार.. हम आये तो सही, पर रहा इंतज़ार..! मजहब मोहब्बत का दुश्मन तो नहीं है.. जाने कौन है इस अफवाह का ठेकेदार..! बहुत कुछ साथ ले कर.. तुमसे मिलने आयेंगे अगली बार..! ©Jaya ki kalam (R)"

 बहुत कुछ साथ ले कर..
तुमसे मिलने आयेंगे अगली बार..! 

उम्र, जात और हैसियत की हैसियत. 
जिंदगी से पूछेंगे अगली बार..! 

बिन लकीरों की हथेली में... 
प्यार की रेखा खींचेंगे अगली बार..! 

नाम तेरा मेरा भले ही मिट जाए..
हमारी रूहों को आना होगा अगली बार..!

हर बार,बार बार और फ़िर से इस बार.. 
हम आये तो सही, पर रहा इंतज़ार..! 

मजहब मोहब्बत का दुश्मन तो नहीं है.. 
जाने कौन है इस अफवाह का ठेकेदार..! 

बहुत कुछ साथ ले कर..
तुमसे मिलने आयेंगे अगली बार..!

©Jaya ki kalam (R)

बहुत कुछ साथ ले कर.. तुमसे मिलने आयेंगे अगली बार..! उम्र, जात और हैसियत की हैसियत. जिंदगी से पूछेंगे अगली बार..! बिन लकीरों की हथेली में... प्यार की रेखा खींचेंगे अगली बार..! नाम तेरा मेरा भले ही मिट जाए.. हमारी रूहों को आना होगा अगली बार..! हर बार,बार बार और फ़िर से इस बार.. हम आये तो सही, पर रहा इंतज़ार..! मजहब मोहब्बत का दुश्मन तो नहीं है.. जाने कौन है इस अफवाह का ठेकेदार..! बहुत कुछ साथ ले कर.. तुमसे मिलने आयेंगे अगली बार..! ©Jaya ki kalam (R)

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