विस्फोट...
स्वप्न की
धुंधली चादर के पीछे,
हो रहा था,
एक स्कूल में विस्फोट,
घायल,हो रहे थे, स्कूली बच्चे,
तख्तियां खून से सन रहीं थी,
आँखों से,बाहर निकल रहीं थी
तुम्हारी आतंकित पुतलियां,
मैं
यह सब कुछ देख रहा था,
फिर भी
सोता रहा.
किसी गंदे घिनोने स्वभाव सा
मैं सोता रहा...