चढ़ जाए तो फिर उतरता ही नही ये इश्क़ भी किसी ग़रीब क | हिंदी Shayari

"चढ़ जाए तो फिर उतरता ही नही ये इश्क़ भी किसी ग़रीब के क़र्ज़ जैसा है _रौनक़ वासुदेव_"

 चढ़ जाए तो फिर उतरता ही नही
ये इश्क़ भी किसी 
ग़रीब के क़र्ज़ जैसा है

_रौनक़ वासुदेव_

चढ़ जाए तो फिर उतरता ही नही ये इश्क़ भी किसी ग़रीब के क़र्ज़ जैसा है _रौनक़ वासुदेव_

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