काहू न कोई सुख दुख कर दाता ||
निज कृत कर्म भोग सबु भ्राता||
........ भावार्थ रामचरित मानस में भगवान कहते निषाद राज से
संसार में ना कोई किसी को सुख पहुंचा सकता हैं
और न ही दुख भगवान कहते है जीव को इस संसार
अपने कर्म के अनुसार दुख और सुख मिलते है
( गौरव निषाद )
©Gaurav nishad hamirpur
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