माँ बाप चहरे की ये झुर्रियाँ कुछ कहती हैं इस तरह | हिंदी विचार

"माँ बाप चहरे की ये झुर्रियाँ कुछ कहती हैं इस तरह से तुम्हारी कामयाबी की राह में रातो जगे इस कदर से ना ही ठीक से सो पाए ना ही भूख लगी समय से तुम्हारे कॉलेज के खर्चे नें चश्मे की जगह ले ली पॉकेट से तुम्हारी मनपसंद नाश्ते की खातिर ऑटो से नहीं चल पड़े पैदल से वो समय भी आ गया जब सुनाई नहीं देता हैं दूर से तुम्हारे होठ ही हिलते देख लेते हैं पास नहीं आते हो एक अरशे से तुम खुश रहो सदा हम रहे या ना रहे ये दुआ हैं ये बस दिल से... श्राद्ध पक्ष स्पेशल... ©Mukesh kolasariya"

 माँ बाप 

चहरे की ये झुर्रियाँ कुछ कहती हैं इस तरह से 
तुम्हारी कामयाबी की राह में रातो जगे इस कदर से 
ना ही ठीक से सो पाए ना ही भूख लगी समय से 
तुम्हारे कॉलेज के खर्चे नें चश्मे की जगह ले ली पॉकेट से 
तुम्हारी मनपसंद नाश्ते की खातिर ऑटो से नहीं चल पड़े पैदल से 
वो समय भी आ गया जब सुनाई नहीं देता हैं दूर से 
तुम्हारे होठ ही हिलते देख लेते हैं पास नहीं आते हो एक अरशे से 
तुम खुश रहो सदा हम रहे या ना रहे ये दुआ हैं ये बस दिल से...

श्राद्ध पक्ष स्पेशल...

©Mukesh kolasariya

माँ बाप चहरे की ये झुर्रियाँ कुछ कहती हैं इस तरह से तुम्हारी कामयाबी की राह में रातो जगे इस कदर से ना ही ठीक से सो पाए ना ही भूख लगी समय से तुम्हारे कॉलेज के खर्चे नें चश्मे की जगह ले ली पॉकेट से तुम्हारी मनपसंद नाश्ते की खातिर ऑटो से नहीं चल पड़े पैदल से वो समय भी आ गया जब सुनाई नहीं देता हैं दूर से तुम्हारे होठ ही हिलते देख लेते हैं पास नहीं आते हो एक अरशे से तुम खुश रहो सदा हम रहे या ना रहे ये दुआ हैं ये बस दिल से... श्राद्ध पक्ष स्पेशल... ©Mukesh kolasariya

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