Beautiful Moon Night बाज़ार का महासागर
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बाज़ार का महासागर
उछाल मार कर
चपेट में ले चुका है
जमाने भर को
सब बेच रहे हैं
अच्छा बुरा
सब बिक रहे हैं
अच्छे बुरे
कोई अपनी सादगी बेचने
में मग्न है
कोई अपनी चालाकी बेचने
में संलग्न है
कोई बेच रहा है
मुहोब्बत
कोई झूठ बेच रहा है
कोई पूरी बेइमानी से
बेच रहा है ईमानदारी
कोई पूरी ईमानदारी से
बेईमानी बेच रहा है
कोई अपनी भव्यता बेच रहा है
कोई अपनी लघुता बेच रहा है
कोई अपनी हंसी बेच रहा है
कोई अपना रोना बेच रहा है
कोई अपनी अवाज़ बेच रहा है
कोई बेच रहा है आपकी आवाज़
कोई भाषा बेच रहा है
कोई कविता बेच रहा है
कोई इतिहास बेच रहा है
कोई संस्कृति बेच रहा है
कोई धर्म बेच रहा है
कोई शर्म बेच रहा है
कोई संस्कार बेच रहा है
नेता हों
पत्रकार हों
कवि हों
कलाकार हो
थानेदार हों
सरकार हों
कोई हों
सब बाज़ार में उतर आये हैं
कर क्या रहे हैं?
मासूम को लूट रहे हैं
श्रम को लूट रहे हैं
©Naresh Kumar khajuria
#beautifulmoon