बोल बोल कर थक गया हू,अब खामोशी अच्छी लगती है।
अकेला ही सही लेकिन ,उदासी अच्छी लगती है।
बहुत हुआ अब शहरों का शोर, कल कल बहती हुई नदिया अब अच्छी लगती है।
बहुत हुआ झूठी दोस्ती पर गुमान,अब खुद से दोस्ती सच्ची लगती है।।
बहुत देख ली लोगो की झूठी ऊंचाई
अब सागर की गहराई सच्ची लगती है।
बहुत देख ली दुनिया की दस्तूर ,अब खुद की परछाई अच्छी लगती है।
बहुत हुआ जोर का शोर,अब बस खामोशी अच्छी लगती है।।
©praveen dubey
#Sawera