तुम नफ़रत करो, जब तक ज़िंदगी है हमने तो मुहब्बत को | हिंदी शायरी Video
"तुम नफ़रत करो, जब तक ज़िंदगी है
हमने तो मुहब्बत को, निभाना सिखा है
अभी थमते नहीं पल, क्या बताऊँ?
जब से अनजान होकर, गुज़रना सिखा है
वो कश्तीयाँ तो डुब गई, जो कागज़ी थी
समंदर थे हम, सभी को डुबाना सिखा है
विशाल पांढरे
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तुम नफ़रत करो, जब तक ज़िंदगी है
हमने तो मुहब्बत को, निभाना सिखा है
अभी थमते नहीं पल, क्या बताऊँ?
जब से अनजान होकर, गुज़रना सिखा है
वो कश्तीयाँ तो डुब गई, जो कागज़ी थी
समंदर थे हम, सभी को डुबाना सिखा है
विशाल पांढरे