जमाना जिसे पागल कहता है
उनकी एक अलग ही दुनिया होती है
समझने की जिसे हम कोशिश नहीं करते
हरकतों को उनकी हम
बेवकूफी, बावलापन क्या-क्या नाम देते हैं |
एक काल्पनिक दुनिया जिसे वो रच देता है
होती हैं वजहें उसमें कई तरह के
अकेले में बातें करना, सारी भावनायें हृदय की
अनायास स्पष्ट रूप में प्रकट कर देना
हसना, रोना, क्रोधित होना, डरना आदि
ये सारी हरकतें अकेले में ही करना
सामने उसके किसी के न पाने पर, उनकी हरकतें
जमाने का न समझ पाना, फिर उसे पागल कहना |
पर उसकी दुनिया में कोई तो है
जिससे वह खुलकर बातें करता है
अपने दिल के सारे हाल सुनाता है
जमाने की परवाह किए बगैर |
मैंने भी अपने चारों ओर
ऐसी ही एक दुनिया रच डाली है
जिसमें एकांत है और एकांत में सुकून
सिर्फ मैं और तुम्हारी यादें
फिर भी यहाँ सबकछ है
तुम्हारे न होने पर भी,
उन यादों के सहारे सुकून से मैं जी लेता हूँ
जो बातें हमने काल्पनिक सी की थी
यहाँ वो सब हकीकत लगता है |
इन दिनों मैंने एक चीज तो सीखी है
किसी को चाहो या किसी चीज को
वो मिले या कभी न मिलें
अगर उसमें पागलपन हो तो
किसी न किसी रुप में
वो हमारे पास रह ही जाती है
शायद जमाना अब मुझे पागल कहेगा, पर
"मैं पागल नहीं, मुझमें एक पागलपन है! "
©Aman Kumar Raj
#पागलपन
#Moon