रात देर तक तेरी दहलीज़ पर बैठी रहीं आँखें, खुद न आन | हिंदी शायरी

"रात देर तक तेरी दहलीज़ पर बैठी रहीं आँखें, खुद न आना था तो कोई ख्वाब ही भेज दिया होता ©Guilty AJ"

 रात देर तक तेरी दहलीज़ पर
बैठी रहीं आँखें,
खुद न आना था तो कोई
ख्वाब ही भेज दिया होता

©Guilty AJ

रात देर तक तेरी दहलीज़ पर बैठी रहीं आँखें, खुद न आना था तो कोई ख्वाब ही भेज दिया होता ©Guilty AJ

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