नसीब की ठोकरें, क़िस्मत की बेरूखी मार डालेगी वो तल | हिंदी कविता

"नसीब की ठोकरें, क़िस्मत की बेरूखी मार डालेगी वो तलाशती है हमें दुश्मन की तरह, बेवजह किसी मोड़ पर मार डालेगी हम ग़रीब हैं साहिब हम पर मौत ज़्यादा मेहरबान हैं बीमारी से बचेंगे तो भूख मार डालेगी"

 नसीब की ठोकरें, क़िस्मत की बेरूखी मार डालेगी
वो तलाशती है हमें दुश्मन की तरह, बेवजह किसी मोड़ पर मार डालेगी
हम ग़रीब हैं साहिब हम पर मौत ज़्यादा मेहरबान हैं
बीमारी से बचेंगे तो भूख मार डालेगी

नसीब की ठोकरें, क़िस्मत की बेरूखी मार डालेगी वो तलाशती है हमें दुश्मन की तरह, बेवजह किसी मोड़ पर मार डालेगी हम ग़रीब हैं साहिब हम पर मौत ज़्यादा मेहरबान हैं बीमारी से बचेंगे तो भूख मार डालेगी

Zaki Ansari #covid19 #coronavirus #lockdown

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