White घनघोर अंधेरा छाया है, फिर मन मेरा घबराया है, | हिंदी कविता

"White घनघोर अंधेरा छाया है, फिर मन मेरा घबराया है, नभ मेघों से भर आया है, वो अब तक घर ना आया है... चपला चंचल है चमक रही, रह रह करके फिर गरज रही, बादल ने शोर मचाया है, वो घर अब तक ना आया है.... बारिश की भी बौछार चली, बूंदों की तेज कटार चली, आंधी ने चैन उड़ाया है, वो घर अब तक ना आया है... सब देख मेरा मन तड़प रहा , मिलने को उससे तरस रहा, तुफां ने कहर बरपाया है, वो घर अब तक ना आया है.... प्रकृति खुशियों में झूम रही, ठंडी ठंडी तब पवन चली, प्रियतम उसका भी आया है, वो घर अब तक ना आया है... हो गई तृप्त है जब धरती, नभ सतरंगी हो आया है, मिलने का मौसम आया है, वो घर अब तक ना आया है.... ©sony"

 White घनघोर अंधेरा छाया है,
फिर मन मेरा घबराया है,
नभ मेघों से भर आया है,
वो अब तक घर ना आया है...

चपला चंचल है चमक रही,
रह रह करके फिर गरज रही,
बादल ने शोर मचाया है,
वो घर अब तक ना आया है....

बारिश की भी बौछार चली,
बूंदों की तेज कटार चली,
आंधी ने चैन उड़ाया है,
वो घर अब तक ना आया है...

सब देख मेरा मन तड़प रहा ,
मिलने को उससे तरस रहा,
तुफां ने कहर बरपाया है,
वो घर अब तक ना आया है....

प्रकृति खुशियों में झूम रही,
ठंडी ठंडी तब पवन चली,
प्रियतम उसका भी आया है,
वो घर अब तक ना आया है...

हो गई तृप्त है जब धरती,
नभ सतरंगी हो आया है,
मिलने का मौसम आया है,
वो घर अब तक ना आया है....

©sony

White घनघोर अंधेरा छाया है, फिर मन मेरा घबराया है, नभ मेघों से भर आया है, वो अब तक घर ना आया है... चपला चंचल है चमक रही, रह रह करके फिर गरज रही, बादल ने शोर मचाया है, वो घर अब तक ना आया है.... बारिश की भी बौछार चली, बूंदों की तेज कटार चली, आंधी ने चैन उड़ाया है, वो घर अब तक ना आया है... सब देख मेरा मन तड़प रहा , मिलने को उससे तरस रहा, तुफां ने कहर बरपाया है, वो घर अब तक ना आया है.... प्रकृति खुशियों में झूम रही, ठंडी ठंडी तब पवन चली, प्रियतम उसका भी आया है, वो घर अब तक ना आया है... हो गई तृप्त है जब धरती, नभ सतरंगी हो आया है, मिलने का मौसम आया है, वो घर अब तक ना आया है.... ©sony

वो अब तक घर ना आया #Thinking हिंदी कविता

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