रात सहमी हुई
तन्हाई बियाबान सी है
आज महफ़िल में मेरे साथ
यही दोनों हैं
एक वही याद थी किसी की,
साथ छोड़ गई
साथ महफ़िल से गये आज
वही दोनों हैं
©Ashraf Fani【असर】
रात सहमी हुई
तन्हाई बियाबान सी है
आज महफ़िल में मेरे साथ
यही दोनों हैं
एक वही याद थी किसी की,
साथ छोड़ गई
साथ महफ़िल से गये आज
वही दोनों हैं