"जिनके पास अपने है,
वो अपनों से झगड़ते हैं
जिनका कोई नहीं अपना
वो अपनों को तरसते हैं..।
कल न हम होंगे न गिला होगा।
*सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा।
जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें।
जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।
राहुल तिवारी स्वतंत्र"
जिनके पास अपने है,
वो अपनों से झगड़ते हैं
जिनका कोई नहीं अपना
वो अपनों को तरसते हैं..।
कल न हम होंगे न गिला होगा।
*सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिललिसा होगा।
जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें।
जाने कल जिंदगी का क्या फैसला होगा।
राहुल तिवारी स्वतंत्र