शोर पहले जब गलियां बच्चों के शोर से भरी रहती थी आ | हिंदी शायरी

"शोर पहले जब गलियां बच्चों के शोर से भरी रहती थी आज इन्ही गलियों मैं कुत्तो के भोंकने के सिवा कोई आवाज नहीं आती क्युकी आधुनिकता की जंजीरो मैं बंधे हुए बच्चे घर के कोने मैं बैठकर फ़ोन चला रहे होते है !"

 शोर पहले जब गलियां बच्चों के शोर से भरी रहती थी 
आज इन्ही गलियों मैं कुत्तो के भोंकने के सिवा कोई आवाज नहीं आती 
क्युकी आधुनिकता की जंजीरो मैं बंधे हुए बच्चे घर के कोने मैं बैठकर 
फ़ोन चला रहे होते है !

शोर पहले जब गलियां बच्चों के शोर से भरी रहती थी आज इन्ही गलियों मैं कुत्तो के भोंकने के सिवा कोई आवाज नहीं आती क्युकी आधुनिकता की जंजीरो मैं बंधे हुए बच्चे घर के कोने मैं बैठकर फ़ोन चला रहे होते है !

#शायरी @Aayush Raj | Thepaperpenguy

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