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है हमको अब भी तेरा इंतजार आ जाओ
पुकारती है तुम को ये बहार आ जाओ
बदल गई है सदी , वक़्त भी बदल चुका
बदल सका न जोवो मेरा प्यार आ जाओ
किराये का न समझ , तुम कुटीर को मेरी
है बोझ दिल पे मेरे जो उतार आ जाओ
निशाने पर है लगा तीर दिल पे ये तेरा
हुऐ है तीरे नजर के शिकार आ जाओ
सताते क्यूँ हो मुहब्बत में अपने तुम यारा
कदम कदम पेकी ये जांनिसार आजाओ
समाये हो नफ़स बन के मेरे नस नस में
कभी लहू की मेरे सुन पुकार आ जाओ
कभी समझ न सकेतुम मेरी मुहब्बत को
कभी तो कर ले मुझपे ऐतबार आ जाओ
( लक्ष्मण दावानी ✍ )
23/6/2017
©laxman dawani
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