White मैसिज वाले इस युग में अब, सोचा है कोई तार लि | हिंदी कविता

"White मैसिज वाले इस युग में अब, सोचा है कोई तार लिखूं मैं। जिस दिन दो पल चैन के जी लूँ, बस वो पल इतवार लिखूँ मैं। दिल में दर्द छिपाये बैठे, चेहरे पर मुस्कानें लेकर, सिक्के के दोनों पहलू का, कुछ ऐसा व्यवहार लिखूँ मैं। कथा, कहानी किस्सों की दुनियाँ में, मैं भी बहुत चला हूँ, सात जन्म के बंधन वाले, उस रिश्ते को प्यार लिखूँ मैं। घर से दूर निकल आये हैँ, घर पर जाने की ही खातिर, घर पर ही जो जाने ना दे, ये कैसा रोजगार लिखूँ मैं। शहर की रौनक में खोया है, मेरा गांव का छोटा सा घर, जिस दिन लोटूं उस चौखट पर, बस उस दिन त्यौहार लिखूँ मैं। ।।पुष्पेश्वर तिवारी।। ©Pushpeshwar Tiwari"

 White मैसिज वाले इस युग में अब, सोचा है कोई तार लिखूं मैं।
जिस दिन दो पल चैन के जी लूँ, बस वो पल इतवार लिखूँ मैं।
दिल में दर्द छिपाये बैठे, चेहरे पर मुस्कानें लेकर,
सिक्के के दोनों पहलू का, कुछ ऐसा व्यवहार लिखूँ मैं।
कथा, कहानी किस्सों की दुनियाँ में, मैं भी बहुत चला हूँ,
सात जन्म के बंधन वाले, उस रिश्ते को प्यार लिखूँ मैं।
घर से दूर निकल आये हैँ, घर पर जाने की ही खातिर,
घर पर ही जो जाने ना दे, ये कैसा रोजगार लिखूँ मैं।
शहर की रौनक में खोया है, मेरा गांव का छोटा सा घर,
जिस दिन लोटूं उस चौखट पर, बस उस दिन त्यौहार लिखूँ मैं।

                      ।।पुष्पेश्वर तिवारी।।

©Pushpeshwar Tiwari

White मैसिज वाले इस युग में अब, सोचा है कोई तार लिखूं मैं। जिस दिन दो पल चैन के जी लूँ, बस वो पल इतवार लिखूँ मैं। दिल में दर्द छिपाये बैठे, चेहरे पर मुस्कानें लेकर, सिक्के के दोनों पहलू का, कुछ ऐसा व्यवहार लिखूँ मैं। कथा, कहानी किस्सों की दुनियाँ में, मैं भी बहुत चला हूँ, सात जन्म के बंधन वाले, उस रिश्ते को प्यार लिखूँ मैं। घर से दूर निकल आये हैँ, घर पर जाने की ही खातिर, घर पर ही जो जाने ना दे, ये कैसा रोजगार लिखूँ मैं। शहर की रौनक में खोया है, मेरा गांव का छोटा सा घर, जिस दिन लोटूं उस चौखट पर, बस उस दिन त्यौहार लिखूँ मैं। ।।पुष्पेश्वर तिवारी।। ©Pushpeshwar Tiwari

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