तुम्हारी मुहब्बत भी शियासत की तरह निकली, हाथ जोड़े | हिंदी शायरी

"तुम्हारी मुहब्बत भी शियासत की तरह निकली, हाथ जोड़े,पाँव पकड़े,सरकार बनाई और जनता को भूल गया, ©Imteyaz Bharti"

 तुम्हारी मुहब्बत भी शियासत की तरह निकली, 
हाथ जोड़े,पाँव पकड़े,सरकार बनाई और जनता को भूल गया,

©Imteyaz Bharti

तुम्हारी मुहब्बत भी शियासत की तरह निकली, हाथ जोड़े,पाँव पकड़े,सरकार बनाई और जनता को भूल गया, ©Imteyaz Bharti

shayri

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