White जाने क्यूँ शाम ढले डूबते सूरज का समाँ दिल से फिर भूली हुई कोई कहानी माँगे ...
ऐ मिरे डूबते सूरज ये बता दे मुझ को तेरे दामन में ये महताब सा रक्खा क्या है ...
रोएँ क्या डूबते सूरज के लिए हम 'रूही' कि नई शान से कल उस को उभरना होगा ...
इस डूबते सूरज से तो उम्मीद ही क्या थी
©Vinit Sarmandal
#SunSet