अंजान था मैं, अंजान थे मेरे जज्बात अंजान थी मेरी च | हिंदी कविता

"अंजान था मैं, अंजान थे मेरे जज्बात अंजान थी मेरी चाहत और अंजान थे मेरे खयालात। वो अंजान थी मेरी चाहत से, फिर वक्त ने सिखाया प्यार करो थोड़ा औकात से 😀😀।। ©akhil patel"

 अंजान था मैं, अंजान थे मेरे जज्बात
अंजान थी मेरी चाहत और अंजान थे मेरे खयालात। 
वो अंजान थी मेरी चाहत से, 
फिर वक्त ने सिखाया प्यार करो थोड़ा औकात से 😀😀।।

©akhil patel

अंजान था मैं, अंजान थे मेरे जज्बात अंजान थी मेरी चाहत और अंजान थे मेरे खयालात। वो अंजान थी मेरी चाहत से, फिर वक्त ने सिखाया प्यार करो थोड़ा औकात से 😀😀।। ©akhil patel

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