छुपाना चाहे बेपरवाह गुस्ताखियां,🤦🏻‍♂ शाम ढल जाती ह | हिंदी शायरी

"छुपाना चाहे बेपरवाह गुस्ताखियां,🤦🏻‍♂ शाम ढल जाती हैं,😔 बेफ़िक्री की गुंजाइश करनी चाही,💁🏻‍♂ पर साली याद बड़ी आती हैं,😇 तेरे कागज की तस्वीरों से मुक्कमल हुआ आज,📖 तस्वीरों से परेह कामिनी जान ले जाती हैं।।🙈🤦🏻‍♂😇 Written By Abhijeet Jagtap.."

 छुपाना चाहे बेपरवाह गुस्ताखियां,🤦🏻‍♂
शाम ढल जाती हैं,😔
बेफ़िक्री की गुंजाइश करनी चाही,💁🏻‍♂
पर साली याद बड़ी आती हैं,😇
तेरे कागज की तस्वीरों से मुक्कमल हुआ आज,📖
तस्वीरों से परेह कामिनी जान ले जाती हैं।।🙈🤦🏻‍♂😇
Written By Abhijeet Jagtap..

छुपाना चाहे बेपरवाह गुस्ताखियां,🤦🏻‍♂ शाम ढल जाती हैं,😔 बेफ़िक्री की गुंजाइश करनी चाही,💁🏻‍♂ पर साली याद बड़ी आती हैं,😇 तेरे कागज की तस्वीरों से मुक्कमल हुआ आज,📖 तस्वीरों से परेह कामिनी जान ले जाती हैं।।🙈🤦🏻‍♂😇 Written By Abhijeet Jagtap..

#unconditional_love

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