आती-जाती ख्वाहिशों का मौसम देखा है । हंसती-खिलती आ | हिंदी शायरी

"आती-जाती ख्वाहिशों का मौसम देखा है । हंसती-खिलती आँखों को भी नम देखा है । मिले बुज़ुर्गों को इज़्ज़त उनका हक़ था, हमने दुनिया को उनसे कुछ कम देखा है । अपने सुख से बढ़कर सबका सुख जाना, अपने गम से बढ़कर सबका गम देखा है । रात किसी की हिज़्र में रोती है शायद, सुबह को ओस की बूंदों से पूरनम देखा है । जीवन जख्मों की गर एक कहानी है, उनका होना ज़ख्मों पर मरहम देखा है । तुम न अगर समझे मेरे ज़ज़्बातों को, तुमने मेरी आँखों में कुछ कम देखा है । नीरज निश्चल ©where is master"

 आती-जाती ख्वाहिशों का मौसम देखा है ।
हंसती-खिलती आँखों को भी नम देखा है ।

मिले बुज़ुर्गों को इज़्ज़त उनका हक़ था,
हमने दुनिया को उनसे कुछ कम देखा है ।

अपने सुख से बढ़कर सबका सुख जाना,
अपने गम से बढ़कर सबका गम देखा है ।

रात किसी की हिज़्र में रोती है शायद,
सुबह को ओस की बूंदों से पूरनम देखा है ।

जीवन जख्मों की गर एक कहानी है,
उनका होना ज़ख्मों पर मरहम देखा है ।

तुम न अगर समझे मेरे ज़ज़्बातों को,
तुमने मेरी आँखों में कुछ कम देखा है ।

नीरज निश्चल

©where is master

आती-जाती ख्वाहिशों का मौसम देखा है । हंसती-खिलती आँखों को भी नम देखा है । मिले बुज़ुर्गों को इज़्ज़त उनका हक़ था, हमने दुनिया को उनसे कुछ कम देखा है । अपने सुख से बढ़कर सबका सुख जाना, अपने गम से बढ़कर सबका गम देखा है । रात किसी की हिज़्र में रोती है शायद, सुबह को ओस की बूंदों से पूरनम देखा है । जीवन जख्मों की गर एक कहानी है, उनका होना ज़ख्मों पर मरहम देखा है । तुम न अगर समझे मेरे ज़ज़्बातों को, तुमने मेरी आँखों में कुछ कम देखा है । नीरज निश्चल ©where is master

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