आग ना जाति देखती है, ना धर्म आग बस जलाती है अपने प | हिंदी कविता Video

आग ना जाति देखती है, ना धर्म
आग बस जलाती है अपने परिधि में आ रही सभी चीज़ों को

आग, अंधी है
वो नहीं देखती धर्म, जाति, मज़हब

आग, बहरी है
वो नहीं सुनती अल्लाह, राम के नारे

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