आँखें आज भी उसी के इंतजार में हैं,
यार जाने क्या नश्शा उसके प्यार में है !
उसकी यादों में,बातों में खोए रहते हैं हम,
और वो तैयारी-ए-वस्ल-ए-यार में है !
मौसम सारे बेरंग हो चुके मेरी जिंदगी के,
उसके सभी दिन कट रहे बहार में हैं !
अरे कोई तो समझाओ उस नादान को,
कि जिस्म उसका हवस के शिकार में है !
मेरी निगाह-ए-शौक बन गई गम-ए-हयात,
अब दर-ए-फुरकत उसके दीदार में है !
✍अनुराग विश्वकर्मा
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