रिद्धि सिद्धि बुद्धि के दाता
रिद्धि सिद्धि बुद्धि के दाता
कहाँ गए हो गणपति बप्पा
तकत तकत पथराई आँखे
आशा की मुरझाई शाखें
शुभदिन आया उतरो धरा पर
भक्तजनों पर आके दया कर।
जन्मदिन मुबारक तुमको
कहते विघ्न संहारक तुमको
विघ्न हरो जग के विघ्नेश्वर
आ जाओ मूसे पे चढ़कर
मिलूं अगर पाऊं स्फूर्ति
दर्शन दे दो मंगलमूर्ति।
शुभ दिन की शुरुआत तुम्ही हो
सब कारज आगाज़ तुम्ही हो
सबसे पहले तेरी पूजा
सबसे पहले तुमको वंदन
देर करो न एक घड़ी भी
अवतरिये फिर गौरीनंदन।
©Kavi Hari Shanker
#रिद्धि सिद्धि बुद्धि के दाता