भवन्ति नम्रास्तरवः फलोद्गमै- र्नवाम्बुभिर्भूरि | हिंदी विचार Video

"" भवन्ति नम्रास्तरवः फलोद्गमै- र्नवाम्बुभिर्भूरि विलम्बिनो घना: । अनुद्धता: सत्पुरुषा: समृद्धिभिः स्वभाव एवैष परोपकारिणाम् ।। 👉👉 हिन्दीकाव्यानुवाद : तरु निकर फलान्वित झुक जाते, झुक जाते वारि-पुर्ण जलधर । सज्जन करते न गर्व धन से, परहितकारी-स्वभाव ही वर ।।" 👉👉 बनारसी "दास" कृत "काव्यकिञ्जल्क काव्य" 👉👉 www .amazon.com https: Flipkart.com 👉👉 Banarasi Das Book 👉👉 Ramkinkar Sharma ©Ramkinkar sharma "

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