" भवन्ति नम्रास्तरवः फलोद्गमै-
र्नवाम्बुभिर्भूरि विलम्बिनो घना: ।
अनुद्धता: सत्पुरुषा: समृद्धिभिः
स्वभाव एवैष परोपकारिणाम् ।।
👉👉 हिन्दीकाव्यानुवाद :
तरु निकर फलान्वित झुक जाते,
झुक जाते वारि-पुर्ण जलधर ।
सज्जन करते न गर्व धन से,
परहितकारी-स्वभाव ही वर ।।"
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