उस दासत्व की निर्जीव बंजर रुग्ण भूमि पर, हमार | मराठी कविता Video

"उस दासत्व की निर्जीव बंजर रुग्ण भूमि पर, हमारे वे सभी वीर स्वतंत्रता के महानायकों ने, निस्वार्थ हो त्याग एवं स्व बलिदान के बल पर, हमें स्वस्थ उपजाऊ सजीव स्वतंत्र भूमि दी है, हम उस भूमि पर उपजे स्वतंत्र हरित वृक्ष से है, सब फल फूल रहे है कुछ फल कुछ फूल सहित, परंतु जात-पात में धर्मांध होकर दास तो ना बन, वृक्ष सदृश बन भले फल फूलदार नहीं ना सही, परंतु प्रेम में समर्पण में सौहार्द से परिपूर्ण एक, एकता का हरा-भरा छायादार कल्पवृक्ष सा बन। ©अदनासा- "

उस दासत्व की निर्जीव बंजर रुग्ण भूमि पर, हमारे वे सभी वीर स्वतंत्रता के महानायकों ने, निस्वार्थ हो त्याग एवं स्व बलिदान के बल पर, हमें स्वस्थ उपजाऊ सजीव स्वतंत्र भूमि दी है, हम उस भूमि पर उपजे स्वतंत्र हरित वृक्ष से है, सब फल फूल रहे है कुछ फल कुछ फूल सहित, परंतु जात-पात में धर्मांध होकर दास तो ना बन, वृक्ष सदृश बन भले फल फूलदार नहीं ना सही, परंतु प्रेम में समर्पण में सौहार्द से परिपूर्ण एक, एकता का हरा-भरा छायादार कल्पवृक्ष सा बन। ©अदनासा-

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