ना धर्म की समझ है मुझे , ना कोई मजहब और जात समझता | हिंदी शायरी

"ना धर्म की समझ है मुझे , ना कोई मजहब और जात समझता हूं। "इंसान" हूं साहिब, बस, "इंसानियत" की बात समझता हूं। #Humanity #Words_Of_Heart ♥️"

 ना धर्म की समझ है मुझे ,

ना कोई मजहब और जात समझता हूं।

"इंसान" हूं साहिब,

बस, "इंसानियत" की बात समझता हूं।

#Humanity
#Words_Of_Heart ♥️

ना धर्म की समझ है मुझे , ना कोई मजहब और जात समझता हूं। "इंसान" हूं साहिब, बस, "इंसानियत" की बात समझता हूं। #Humanity #Words_Of_Heart ♥️

#इंसान (#HUmanity)

#words_of_heart
#गुमनाम_शायर
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