बीत गए महरूमियत के दिन सदमा अब क्या बाकी है जिनके | English Poetry

"बीत गए महरूमियत के दिन सदमा अब क्या बाकी है जिनके लिए खाक ना हुए ऐसा जीना भी अब ना काफी है ©chandni"

 बीत गए महरूमियत के दिन
सदमा अब क्या बाकी है

जिनके लिए खाक ना हुए
ऐसा जीना भी अब
 ना काफी है

©chandni

बीत गए महरूमियत के दिन सदमा अब क्या बाकी है जिनके लिए खाक ना हुए ऐसा जीना भी अब ना काफी है ©chandni

#darkness

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