इंतज़ार जगा कर मुझे वो खुद बेखबर सो रही है,
दिल दुखा है उसका और आंखें भीज़ मेरी रही है,
बीतते हर लम्हे के साथ रात उनके इंतजार मैं यूंही गुज़र रही है,
अब इस वक्त की रफ्तार को ये कहकर थमने की अरज कर रहा हूं,
कि चांद तो आया है आज भी आसमान में लेकिन उसकी चांदनी कही खो गई ही,
शायद वो आज फिर बेखबर सो गई है।।
©Inkheart
#इंतज़ार