इस जीवन समुद्र में .
लहरों के थपेडों से लड़ा,
कुछ कभी आगे भी बड़ा.
फिर गिरा अथाह गहराई तक.
जीवन समुद्र की विशालता ने ,
तोड़ दिया मै, होने का भ्रम
अब जहां जा गिरा हू ,वह ,
समुद्र का अंतिम तल ,
अब नहीं करता विकल.
एक अहसास, विश्वास है कि,
अब और पतन तो हो नहीं सकता,
इन असीम गहराइयों में उतर कर.
शून्य आधार का नीव बनकर.
फिर ले जायेगा जीवन ऊपर.
©Kamlesh Kandpal
#Jiwan