किसी के मौत पे दुखी होता तो
किसिकी जान की मांग करता है,
वाह रे जमाना तेरी ख़ुशी का अलग ही ठिकाना है
किसि सुहाग के उजड़ने पर रोता ,
कीसिके उजाड़ कर जस्न मनाता है
वाह रे जमाना तेरी खुशी का अलग ही ठिकाना है
कभी हेवान को देख इंसानियत की भीख मांगता
तो कभी इंसानों के सामने हेवानियत दिखाता है
वाह रे जमाना तेरी ख़ुशी का अलग ही ठिकाना है
i just write what i feel !
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