"Maa ज़िन्दगी है कच्ची सड़क
जिसमे ठहरा दुख
बन जाता है कीचड़
बरसात में भर देती है
वो अवसादों से खुद को
पर उसके किनारे जमी हुई दूब
सोख लेती है हर तरह से
बूंद को अपने भीतर
मां की ही तरह,
वो ही हमारी दूब हैं
और उनके बिना ज़िन्दगी ,
बस कच्ची सड़क।"
Maa ज़िन्दगी है कच्ची सड़क
जिसमे ठहरा दुख
बन जाता है कीचड़
बरसात में भर देती है
वो अवसादों से खुद को
पर उसके किनारे जमी हुई दूब
सोख लेती है हर तरह से
बूंद को अपने भीतर
मां की ही तरह,
वो ही हमारी दूब हैं
और उनके बिना ज़िन्दगी ,
बस कच्ची सड़क।