हर चेहरा खुश दिखता है, रोज़ सैकड़ों लोगों से मिलता | हिंदी Poetry Vide

"हर चेहरा खुश दिखता है, रोज़ सैकड़ों लोगों से मिलता है। भीड़ में खुद को बेपरवाह रख कर , तन्हा भीतर क्यों छिपता है? बात करने को किस्से बहुत हैं, सुनने को भला कौन ठहरता है। कहने को शहर तरक्की किए, सुकून आज भी गांव में मिलता है। रूप रंग के दौड़ में लगे सब, सादगी को किताबों में बंद किया है। देखती है सभी की आंखें दर्पण, पलकों ने आंसुओं का समर्पण दिया है। ये कहानियां पुरानी ही सही, हर चेहरा खुश दिखता है। ©Vishal Pandey "

हर चेहरा खुश दिखता है, रोज़ सैकड़ों लोगों से मिलता है। भीड़ में खुद को बेपरवाह रख कर , तन्हा भीतर क्यों छिपता है? बात करने को किस्से बहुत हैं, सुनने को भला कौन ठहरता है। कहने को शहर तरक्की किए, सुकून आज भी गांव में मिलता है। रूप रंग के दौड़ में लगे सब, सादगी को किताबों में बंद किया है। देखती है सभी की आंखें दर्पण, पलकों ने आंसुओं का समर्पण दिया है। ये कहानियां पुरानी ही सही, हर चेहरा खुश दिखता है। ©Vishal Pandey

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