कोई किश्त है जो अदा नहीं है, साँस बाकी है और हवा न | हिंदी शायरी

"कोई किश्त है जो अदा नहीं है, साँस बाकी है और हवा नहीं है। नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम पर्चीयां हैं पर दवा नहीं है। आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के मंजर सचमुच अच्छा नहीं है। हर एक शख्स शामिल है इस गुनाह में कुसूर किसका है पता नहीं है। ©Dr Navneet Sharma"

 कोई किश्त है जो अदा नहीं है,
साँस बाकी है और हवा नहीं है।

नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम
पर्चीयां हैं पर दवा नहीं है।

आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के
मंजर सचमुच अच्छा नहीं है।

हर एक शख्स शामिल है इस गुनाह में
कुसूर किसका है पता नहीं है।

©Dr Navneet Sharma

कोई किश्त है जो अदा नहीं है, साँस बाकी है और हवा नहीं है। नसीहतें, सलाहें, हिदायतें तमाम पर्चीयां हैं पर दवा नहीं है। आँख भी ढक लीजिये संग मुँह के मंजर सचमुच अच्छा नहीं है। हर एक शख्स शामिल है इस गुनाह में कुसूर किसका है पता नहीं है। ©Dr Navneet Sharma

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