White पल्लव की डायरी
मानसिकता के दाँव पेच है
निजी जिंदगियां यहाँ सुलग रही है
हाथ हमारे कुछ भी नही आता
मगर निजी आजादी के नाम पर
ढांचा समाज और परिवार का टूटा जाता है
राजा हो या सियासत उनको
दुकड़े कर करके,बाटते रहना
सत्ता बचाने का ये ही फार्मूला आता है
फले ना फूले कोई
अराजकता की चिंगारी लगाना आता है
जाति धर्म औजार बन गये इनके
मानवता का मर्म इन्हें नही सुहाता है
हुनरमंद बनाकर काबलियत पाना
आज की सियासत को नही भाता है
प्रवीण जैन पल्लव
©Praveen Jain "पल्लव"
#sad_quotes निजी जिंदगियां यहाँ सुलग रही है
#nojotohindi