पैसा तो आ गया मगर करार नहीं है.. कितने बताऊं | हिंदी शायरी

"पैसा तो आ गया मगर करार नहीं है.. कितने बताऊं , दुःख मेरे दो-चार नहीं है। इस बात का मलाल तो ताउम्र रहेगा.. वो मुझसे बिछड़ कर भी बेकरार नहीं है। कितने ही दोस्त मुझसे कहते बेवफा है वो.. मैं अब भी कहता हूॅं कि अरे यार नहीं है। कुछ इसलिए भी लखनऊ से चिढ़ हुई मुझे.. बरसों तलक जो साथ था इस बार नहीं है।। ©अनुपम अजनबी"

 पैसा तो  आ  गया  मगर  करार  नहीं  है..
कितने बताऊं , दुःख मेरे दो-चार नहीं है।

इस  बात  का  मलाल  तो  ताउम्र  रहेगा..
वो मुझसे बिछड़ कर भी बेकरार नहीं है।

कितने ही दोस्त मुझसे कहते बेवफा है वो..
मैं अब भी कहता हूॅं कि अरे यार नहीं है।

कुछ इसलिए भी लखनऊ से चिढ़ हुई मुझे..
बरसों तलक जो साथ था इस बार नहीं है।।

©अनुपम अजनबी

पैसा तो आ गया मगर करार नहीं है.. कितने बताऊं , दुःख मेरे दो-चार नहीं है। इस बात का मलाल तो ताउम्र रहेगा.. वो मुझसे बिछड़ कर भी बेकरार नहीं है। कितने ही दोस्त मुझसे कहते बेवफा है वो.. मैं अब भी कहता हूॅं कि अरे यार नहीं है। कुछ इसलिए भी लखनऊ से चिढ़ हुई मुझे.. बरसों तलक जो साथ था इस बार नहीं है।। ©अनुपम अजनबी

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