मुझमें तुम बसेरा कर लो
मैं अंधकार तुम सवेरा कर दो
मैं राहों में भटका मुसाफ़िर
मंज़िल तुम हो मुझे मुकम्मल कर दो
ख़्वाब मेरे सब सूखे हैं
तुम आकर उन्हें सुनहरा कर दो
आवाज़ तुम्हें मैं दे रहा हुं
फिर चाहे सुनो या मुझे अनसुना कर दो
मुझमें तुम बसेरा कर लो
मैं अंधकार तुम सवेरा कर दो
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