उस पर हक़ जताना छोड़ दे  गैरों को अपना बताना छोड़ | हिंदी Poetry

"उस पर हक़ जताना छोड़ दे  गैरों को अपना बताना छोड़ दे  खुश रह उसकी खुशी देख कर अपनी तकलीफ उसे बताना छोड़ दे  दर्द है तो दवा ले,आराम कर  घाव पर मरहम लगाना छोड़ दे  दुनिया मगन है खुद के तरानों मे  तू गीत,ग़ज़लों को फरमाना छोड़ दे  तू लिख नज्म,कर संगम उनके नाम,  कागज के शब्दों को गुनगुनाना छोड़ दे  जिसके बिन अधूरे हम वो बिन हमारे पूरा है  साथ उसके तेरा समय ठहरे ये सुनाना छोड़ दे  तुझे नहीं पसंद अगर कुछ तो चुप रह   तू अपनी पसंद नापसंद बताना छोड़ दे इश्क करता है तो कर,नहीं फिक्र उसे,  मगर इश्क उसी से है ये जताना छोड़ दे ,  ✒️नीलेश सिंह पटना विश्वविद्यालय ©Nilesh"

 उस पर हक़ जताना छोड़ दे 
गैरों को अपना बताना छोड़ दे 
खुश रह उसकी खुशी देख कर
अपनी तकलीफ उसे बताना छोड़ दे 

दर्द है तो दवा ले,आराम कर
 घाव पर मरहम लगाना छोड़ दे 
दुनिया मगन है खुद के तरानों मे 
तू गीत,ग़ज़लों को फरमाना छोड़ दे 

तू लिख नज्म,कर संगम उनके नाम, 
कागज के शब्दों को गुनगुनाना छोड़ दे 
जिसके बिन अधूरे हम वो बिन हमारे पूरा है 
साथ उसके तेरा समय ठहरे ये सुनाना छोड़ दे 

तुझे नहीं पसंद अगर कुछ तो चुप रह  
तू अपनी पसंद नापसंद बताना छोड़ दे 
इश्क करता है तो कर,नहीं फिक्र उसे, 
मगर इश्क उसी से है ये जताना छोड़ दे , 

       ✒️नीलेश सिंह
       पटना विश्वविद्यालय

©Nilesh

उस पर हक़ जताना छोड़ दे  गैरों को अपना बताना छोड़ दे  खुश रह उसकी खुशी देख कर अपनी तकलीफ उसे बताना छोड़ दे  दर्द है तो दवा ले,आराम कर  घाव पर मरहम लगाना छोड़ दे  दुनिया मगन है खुद के तरानों मे  तू गीत,ग़ज़लों को फरमाना छोड़ दे  तू लिख नज्म,कर संगम उनके नाम,  कागज के शब्दों को गुनगुनाना छोड़ दे  जिसके बिन अधूरे हम वो बिन हमारे पूरा है  साथ उसके तेरा समय ठहरे ये सुनाना छोड़ दे  तुझे नहीं पसंद अगर कुछ तो चुप रह   तू अपनी पसंद नापसंद बताना छोड़ दे इश्क करता है तो कर,नहीं फिक्र उसे,  मगर इश्क उसी से है ये जताना छोड़ दे ,  ✒️नीलेश सिंह पटना विश्वविद्यालय ©Nilesh

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