उसके सीने पे खंजर चलाये गए हैं। जो कभी सुई से भी ड | हिंदी Shayari

"उसके सीने पे खंजर चलाये गए हैं। जो कभी सुई से भी डर जाता था।। ©Maickal Amit"

 उसके सीने पे खंजर चलाये गए हैं।
जो कभी सुई से भी डर जाता था।।

©Maickal Amit

उसके सीने पे खंजर चलाये गए हैं। जो कभी सुई से भी डर जाता था।। ©Maickal Amit

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