क्या करोगे अब उसे चाह के, जब चाहत थी तब चाहा नहीं अपनी अय्याशियों में मशरूफ रहे।
वो तड़पी तरसी मोहब्बत के लिए तुम्हारी याद में कितने उस बेचारी के आंसू बहे।
तेरी बतमिजीयां रखी उसने सिर आंखों पर, तेरी खातिर उसने बदनामी के कितने गम सहे।
अब बेकार है उसे दिल का दर्द सुनाना, मनाना , वो वही है जिसे मोहब्बत करने का कायदा नहीं..!
तुम मरो, पियो, जियो, अब उस लड़की को क्या फर्क,
उसे अब सब्र आ गया उसकी कदर करने का अब कोई फायदा नहीं
©SamEeR “Sam" KhAn
#कदर